
Apnapan shayari
अपनापन शायरी
1- अपने ही अपनो से करते है अपनेपन की अभिलाषा
पर अपनो ने ही बदल रखी है अपनेपन की परिभाषा2- रिमझिम तो है मगर सावन गायब है
बच्चे तो है मगर बचपन गायब है
क्या हो गयी तासीर जमाने की यारो
अपने तो है मगर अपनापन गायब है3- अपनापन झलके जिनकी बातो में
सिर्फ कुछ ही लोग होते है ऐसे लाखो में4- जज्बात में लिपटा हुआ विश्वास ही तो है
अपनापन क्या है बस एक अहसास ही तो है

5- अपनापन तो हर कोई दिखाता है पर
अपना कोन है यह वक़्त ही बताता है6- तेरी इस दुनिया मे यह मंजिल क्यों है
कही अपनापन तो कही पीठ में खंजर क्यों है
सुना है तू हर जर्रे में है रहता
फिर जमी पर कही मस्जिद ओर कही मंदिर क्यों है
जब रहने वाले दुनिया के हर बन्दे तेरे है
फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है
तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर
फिर कोई बदनसीब कोई मुकद्दर का सिक्कन्दर क्यों है7- आंखों में आंसुओ को देखा है मेने
हस्ते हुए होतो को देखा है मेने
किसी गैर में अपने प्रति अपनापन ओर
अपनो में जलन और भेदभाव देखा है मेने
bhot badiya bhai